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गुज़ारा -30-Oct-2023

प्रतियोगिता हेतु 
दिनांक:- 30/10/2023
गुज़ारा 

गुज़ारा जो लम्हा साथ तुम्हारे 
आज याद बहुत आता है।
लगता ऐसे जैसे कोई बुलाता 
करता इशारे।।

क्या करें ?
जो नहीं हो सका अपना
उसका ग़म क्या करना पर,
जो दिल में जगह बना चुका
उसको कोई कैसे भुला दे?
गुज़ारा जो लम्हा साथ तुम्हारे 
आज याद बहुत आता है।

कोशिश तो की थी बहुत पर 
भाग्य ने साथ नहीं दिया। 
इधर गये, उधर गये पर 
रस्ता कहीं ना दिखाई दिया।

अब करें भी तो क्या 
सिर्फ याद कर सकते हैं 
जो नहीं पास उसका
तसव्वुर कर सकते हैं 
गुज़ारा जो लम्हा साथ तुम्हारे 
आज याद बहुत आता है।
लगता ऐसे जैसे कोई बुलाता 
करता इशारे।।

शाहाना परवीन "शान"...✍️

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1 Comments

Mohammed urooj khan

01-Nov-2023 12:36 PM

👍👍👍👍

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